Friday, August 22 ,2025

Piliya Ke Lakshan in Hindi - पीलिया क्या है? जाने इसके प्रकार, लक्षण और बचाव के बारे में!


jaundice symptoms in Hindi

पीलिया एक ऐसी बीमारी में जिसमें व्यक्ति का शरीर में धीरे-धीरे पीला पड़ने लग जाता है। अगर इसका समय से इलाज नहीं हुआ तो यह जानलेवा भी बन सकता है। आज इस ब्लॉग के जरिए हम जानेंगे कि पीलिया क्या है, इसके होने के पीछे के कारण, इसके लक्षण और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है। 

पीलिया क्या है? (Piliya in hindi)

पीलिया एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा के ज्यादा होने की वजह से होता है। बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के टिशू और खून में होता है। जब किसी भी कारण से रेड ब्लड सेल्स पहले टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होने लग जाता है। 

बिलीरुबिन हमारे लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है। मगर जब किसी कारण से यह खून से लिवर में नहीं जा पाता है या फिर किसी कारण लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है, तब शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने लग जाती है। यही कारण है जिसकी वजह से पीलिया होता है।

हेपेटाइटिस बी भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और पीलिया का कारण बन सकता है।

पीलिया के प्रकार (Types of jaundice in hindi)

पीलिया क्यों होता है? इसको बेहतर तरीके से समझते हैं और जानते हैं कि इसके कितने है? वैसे पीलिया तीन प्रकार के होते हैं और इनके आधार पर समझते हैं पीलिया क्यों होता है? - 

  1. प्री-हिपेटिक पीलिया - रेड ब्लड सेल्स के जल्दी टूटने के कारण बिलीरुबिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है जिसके कारण प्री-हिपेटिक पीलिया (Pre-hepatic jaundice) होता है।

  2. पोस्ट-हिपेटिक पीलिया - पित्त वाहिका में रुकावट पैदा होने पर पोस्ट-हिपेटिक पीलिया (Post-hepatic jaundice) होता है। 

  3. हेपैटोसेलुलर पीलिया - जब हमारे लिवर की कोशिकाओं को नुकसान होने लगता है या किसी भी कारण लिवर में संक्रमण फैल जाता है तो हेपैटोसेलुलर पीलिया (Hepatocellular jaundice) होता है। 

वैसे प्री-हिपेटिक पीलिया को हेमोलिटिक पीलिया भी कहा जाता है। डॉक्टर पहले मरीज के कुछ टेस्ट करवाते हैं उसके बाद ही पीलिया कौन-सा है, उसकी पुष्टि होने के बाद ही इलाज शुरू किया जाता है। फैटी लिवर की समस्या भी जॉन्डिस से जुड़ी होती है – अंग्रेज़ी में पढ़िए Fatty Liver in Indians

पीलिया की तीन स्टेज (Three stages of jaundice in hindi)

पीलिया के तीन प्रकार है तो उसके तीन स्टेज भी है। आइए समझते हैं जानते हैं कि वह कौन-से स्टेज है?

  1. जब बिलीरूबीन उत्पादन से पहले शरीर में हेमोलिटिक के पुन: अवशोषण हो तो इसकी वजह से पीलिया हो सकता है।

  2. बिलीरूबीन उत्पादन के दौरान कई कारक पीलिया का कारण बन सकते हैं। इन कारकों में एनाबॉलिक स्टेरॉयड और कुछ अन्य दवाइयाँ शामिल हो सकती है। शराब का सेवन, ऑटोइम्यून बीमारी, दुर्लभ आनुवंशिक कारणों से जुड़े चयापचय दोष, वायरस के कारण होने वाले संक्रमण और हेपेटाइटिस (ए, बी और सी) आदि कारण शामिल है जो पीलिया की बीमारी होने का कारण बन सकते हैं। 

  3. बिलीरूबीन के उत्पादन के बाद कुछ ऐसी स्थितियाँ बन सकती है जिसके कारण वयस्कों में पीलिया की समस्या हो सकती है. उन स्थितियों में शामिल है पित्ताशय की सूजन, पित्त पथरी, अग्न्याशय का ट्यूमर और गॉलब्लैडर का कैंसर आदि। यह समस्या का कारण बन सकती हैं। 

पीलिया में अक्सर बिलीरुबिन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।

पीलिया के लक्षण (Jaundice symptoms in hindi)

पीलिया के लक्षण का सबसे बड़ा लक्षण त्वचा और आंखों को देखकर लगाया जा सकता है क्योंकि यह धीरे-धीरे पीली होना लग जाती है। इसके सिवा पीलिया होने पर आप अन्य लक्षण का अनुभव कर सकते हैं:-

बुखार आना 

जब किसी भी व्यक्ति को पीलिया की समस्या होती है तो बुखार भी रहता है।  बुखार कोई आम बुखार नहीं होता है बहुत तेज़ बुखार रहता है जो कि उतरता नहीं है।  जिस वजह से न कुछ खाने की इच्छा होती है और धीरे-धीरे शरीर में कमजोरी आने लग जाती है।  इस कारण पीलिया बिगड़ सकता है और गंभीर रूप ले सकता है।  

थकान महसूस होना

पीलिया की बीमारी होने पर शरीर में थकान बनी रहती है।  कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती है ऐसा लगता है न जाने कितने समय से सोए नहीं या न कितना काम कर लिया है कि कोई काम करने की हिम्मत नहीं बचती।  इसलिए पीलिया की समस्या में व्यक्ति जितना ज्यादा आराम करता है उतना जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है। 

वजन का घटना

जब मरीज को पीलिया की बीमारी अपना शिकार बनाती है तब वजन गिरने यानी घटने लगता है, ऐसा इसलिए क्योंकि ज़रा दिन शरीर में थकान और तेज़ बुखार के कारण कुछ भी करने या खाने की इच्छा नही  ही पाती है और इस कारण कमजोरी आने लगती है साथ ही मरीज का वजन तेज़ी से गिरने लगता है।  

कमजोरी महसूस होना

पीलिया की बीमारी में व्यक्ति को तेज़ बुखार रहता है जिसके कारण खाना खाने की इच्छा में कमी आने लगती है औउर वजन भी गिरने लगता है जो कि कमजोरी की वजह होती है।  इन सब लक्षण के कारण मरीज में थकान भी बनी रहती है।  

भूख न लगना

तेज़ बुखार के कारण मुंह में कड़वाहट बनती रहती है जिसकी वजह से खाने का स्वाद नहीं आ पाता है इसलिए मरीज की  खाना खाने की इच्छा में कमी आने लगती है। 

पेट में दर्द रहना

कुछ मामलों में, मरीज के पेट में रह रह के पेट में दर्द उठ सकता है, जो कि असहनीय होता है।  

सिर में दर्द 

पीलिया की बीमारी में कुछ मामलों में मरीज के सिर में दर्द होने के लक्षण भी देखे गए है।  कई बार तेज़ बुखार के बने रहने के कारण भी मरीज को सिर का दर्द हो सकता है।

शरीर में जलन महसूस होना

तेज़ बुखार रहने से कई बार कुछ मामलों में मरीज के हाथ-पैरों में जलन महसूस हो सकती है।  कई बार पुरे शरीर में भी जलन महसूस हो सकती है।  

हल्के रंग का मल आना 

पीलिया की बीमारी में यह देखा गया है कि मरीज के मल का रंग परिवर्तित हो जाता है।  अगर ध्यान दिया जाए, तो शुरूआत में ही पीलिया की समस्या को पकड़ा जा सकता है और गंभीर होने से रोका जा सकता है।  

कब्ज की शिकायत 

अगर कब्ज़ की शिकायत बढ़ने लगे और शरीर में एनी लक्षण भी दिखाई देने लगे तो यह पीलिया की शुरुआत का लक्षण हो सकता है।  इसलिए सभी लक्षणों पर ज़रा ध्यान दें और समस्या को गंभीर होने से रोके।  

पेशाब का रंग गहरा हो जाना 

पानी के कम सेवन के कारण भी पेशाब के रंग में बदलाव नज़र आ स्क्कता है लेकिन अगर आप सही मात्रा में पानी का सेवन करते हैं, उसके बाद भी पेशाब के रंग में बदलाव नज़र आने लगता है, तो यह पीलिया की समस्या का एक बड़ा लक्षण हो सकता है।  

कुछ मामलों में खुजली व उलटी होना

कई बार ऐसा भी हो सकता है कि मरीज को शरीर में खुजली हो या फिर उलटी की समस्या हो। बहुत ही कम मामलों में देखा गया है।  

पीलिया के साथ अन्य लिवर रोगों के लक्षणों को भी समझना ज़रूरी है।

सफेद पीलिया के लक्षण (Symptoms of white jaundice in hindi)

सफेद पीलिया जिसको अल्बिनो (Albino) कहा जाता है। यह त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीलापन होता है। यह पीलिया का एक रूप है, यह तब नज़र आता है जब शरीर में बिलीरुबिन नामक एक पीला वर्णक का लेवल बढ़ने लग जाता है। 

SGOT और SGPT टेस्ट से लिवर की हालत जानी जा सकती है – अंग्रेज़ी में जानिए SGOT and SGPT Tests for Liver Health

पीलिया रोग कैसे फैलता है? (How does jaundice spread in Hindi)

पीलिया का वायरस मरीज के मल में मौजूद होता है जिसकी वजह से यह बीमारी फैल सकती है। इसके सिवा गंदा पानी, दूध और खानपान की दूसरी चीजों के जरिए भी पीलिया की बीमारी फैल सकती है।

अगर आप पीलिया से बचना चाहते हैं तो अपने आसपास साफ-सफाई रखें। अपनी खानपान की चीजों का सेवन करने से पहले अच्छी तरह धोकर साफ कीजिए ताकि पीलिया या दूसरी अन्य किसी भी तरह की बीमारी और संक्रमण का खतरा कम हो जाए। 

कुछ गंभीर इंफेक्शन जैसे टीबी भी शरीर को कमजोर कर पीलिया का खतरा बढ़ा सकते हैं।

पीलिया होने के कारण (causes of jaundice in hindi) 

हमारे शरीर में बिलीरुबिन का काम लिवर से गंदगी को साफ करने का है। लेकिन जब किसी भी कारण इसकी मात्रा 2.5 से ज्यादा होने लग जाए तो लिवर सही काम करना बंद कर देता है। इसलिए हमारा शरीर पीलिया की बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। रेड ब्लड सेल्स के जल्दी टूटने के कारण बिलीरुबिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है जिसके कारण प्री-हिपेटिक पीलिया होता है। पीलिया होने अन्य दूसरे कारण भी हैं- 

  • मलेरिया

  • थैलासीमिया

  • गिल्बर्ट सिंड्रोम 

  • सिकल सेल बीमारी 

  • अन्य कोई आनुवंशिक कारण

जब हमारे लिवर की कोशिकाओं को नुकसान होने लगता है या किसी भी कारण लिवर में संक्रमण फैल जाता है तो हेपैटोसेलुलर पीलिया होता है। वैसे तो यह खासतौर पर शराब का सेवन या ज्यादा तैलीय और मसालेदार चीजों का सेवन करना और शरीर में कब्ज की समस्या रहती हो उसके कारण हो सकता है। पित्त वाहिका में रुकावट पैदा होने पर पोस्ट-हिपेटिक पीलिया होता है। लिवर में अगर किसी भी तरह का घाव, पित्त में पथरी, हेपेटाइटिस या किसी दवा के साइड इफेक्ट्स की वजह से पित्त नलिका में रुकावट पैदा हो सकती है।

खून की कमी और एनीमिया भी पीलिया जैसे लक्षण दिखा सकते हैं।

पीलिया की बीमारी से बचाव (Prevention of jaundice in Hindi)

अगर आप कुछ खास सावधानियों का ध्यान रखते हैं तो पीलिया से बचाव कर सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार, पीलिया से बचाव करने के लिए आपको अपने लिवर को स्वस्थ रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यही पाचक रस का उत्पादन करके भोजन को हजम करने में मदद करता है। हमारा लिवर साथ ही खून में थक्का बनने और शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। आप कुछ बातों का ध्यान और पालन करके अपने  लिवर के स्वस्थ को बेहतर बना सकते हैं जिससे पीलिया जैसी बीमारी को रोका जा सकता है- 

डाइट

अगर आप संतुलित आहार का सेवन करते हैं तो लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है। आप चाहे तो अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों को शामिल कर सकते हैं। 

व्यायाम

रोजाना सुबह या शाम में थोड़ा-बहुत व्यायाम करके भी आप अपने लिवर को स्वस्थ बनाएं रलज्जनए में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

स्वस्छता

आप दैनिक जीवन में साफ़-सफाई पर ध्यान दें। साफ पानी और साफ फलों व सब्जियों का ही सेवन करें। जिससे आप बहुत सी बड़ी समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं। 

शराब

शराब का सेवन सबसे ज्यादा हमारे लिवर पर बुरा असर डालता है। अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो आपको पीलिया होने का खतरा सबसे अधिक रहेगा। आप अगर पीलिया से बचना चाहते हैं तो शराब का सेवन सीमित या फिर पूरी तरह से बंद कर दें। 

शरीर में आयरन और लिवर हेल्थ समझने के लिए फेरिटिन टेस्ट ज़रूरी है – अंग्रेज़ी में पढ़िए Ferritin Test

नोट : 

पीलिया एक गंभीर बीमारी है जिसका समय पर इलाज होना जरूरी है। अगर इसका समय से इलाज नहीं हुआ तो यह एक गंभीर समस्या का रूप ले सकती है, जिसके चलते कई बार मरीज की जान भी जा सकती है। लक्षणों पर ध्यान देण और समय से इसका इलाज शुरू करें। 

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